Thursday 9 August 2018

खाजूवाला के बल्लर गांव कि समस्याऐं जस की तस

ग्रामीण क्षेत्रों की हालत ही खाजूवाला विधानसभा क्षेत्र का वास्तविक प्रतिबिम्ब है। लगातार पिछड़ रहे खाजूवाला विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं पर नजर डालना आवश्यक हो गया है ।
आखिर क्या है इस पिछड़ेपन का कारण? आइये हम खाजूवाला विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण परिपेक्ष्य पर विचार करके कुछ समस्याओं से रूबरू होते हैं। आज हम बात करते हैं बल्लर गांव कि...बल्लर गांव अन्तरराष्ट्रीय लाईन से मात्र 12 किमी. दुरी पर स्थित है। लेकिन इस गांव कि समस्या इतनी व्यापक है कि यहां के ग्रामीण मजबुरी में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
गांव कि प्रमुख समस्याऐं यहां हम अंकित कर रहे हैं।

--बीएडीपी योजना से वंचित
--पेयजल कि विकट समस्या
--शिक्षा के क्षेत्र में लगातार पिछड़ता
--चिकित्सा व्यवस्था लाचार
--सरकारी योजनाओं का पुरा लाभ नहीं मिलना
--अवारा पशुओं का जामवाड़ा
--प्रतिनिधियों कि अनदेखी
--खाला डाट कवरिंग का अभाव

*~बीएडीपी योजना से वंचित:-*
बल्लर गांव अन्तराष्ट्रीय सीमा से मात्र 12 किमी दुरी पर स्थित है बावजूद इसके बीएडीपी जैसी बड़ी योजना से इस गांव को दुर रखा गया है। लेकिन वहीं दन्तौर गांव जो सीमा से लगभग 35 किमी दुरी पर है बीएडीपी योजना से जुड़ा हुआ गांव है। जैसा कि गांव वाले बता रहे हैं कि बल्लर ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों और स्थानीय विधायक कि आपसी खींचातान के कारण इस गांव को बीएडीपी योजना से वंचित रखा गया है। इसके चलते यहां की जनता में रोष व्याप्त है। ग्रामीणों ने इसे अपने हक पर कुठाराघात बताया है।

*~पेयजल कि विकट समस्या:-*
वैसे तो खाजूवाला विधानसभा क्षेत्र के लगभग सभी गांवों में पेयजल कि स्थिति दायनिय है। बल्लर भी इस समस्या से लगातार जूझ रहा है। इस गांव में पेयजल के लिए डिग्गीयों कि व्यवस्था तो है लेकिन इन डिग्गीयों में पानी कि मात्रा कम और कचरा ज्यादा है। इन डिग्गीयों में पानी कि सप्लाई करने वाली मेन डिगी का तल जमीन में धस गया जिसका कारण निर्माण मेटेरियल कि कमी बताई जा रही है। मेन डिगी का तल जमीन में धसने के कारण पानी पुरी तरह से सप्लाई नहीं हो पाता है और दुसरा कारण सप्लाई पाईप बहुत छोटा है जिस कारण पानी सही तरह से सप्लायर नहीं हो पाता।
इन डिग्गीयों में इतनी गंदगी है की जल पीने लायक नहीं है । ग्रामीण अधिकतर इसी जल को प्रयोग में लाते हैं और बीमारियो को आमंत्रण देते हैं। इन हालातों में पेट, यकृत, त्वचा और गुर्दों की बीमारियां जन्म लेती हैं।

*~शिक्षा व्यवस्था :-*
कहने को तो यहां बारहवीं तक का विधालय है लेकिन स्टाफ कि कमी के चलते यहां पढने वाले बच्चों कि संख्या बहुत कम है। स्टाफ कि कमी तो है ही लेकिन फर्नीचर भी प्रयाप्त नहीं है जिस कारण बच्चों के माता पिता बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए दन्तौर या खाजूवाला के निजी संस्थानों में भेजते हैं। निजी संस्थानों कि फीस मंहगी होने तथा अप डाऊन का खर्चा इतना बढ़ जाता है जिसके कारण ग्रामीणों को भारी कर्ज लेना पड़ता है। लेकिन ज्यादा गरीब परिवार तो अपने बच्चों को उच्च शिक्षा तक नहीं दिला पाते। स्थानीय विधायक और सांसद चाहे तो उनके एक आदेश पर इस बड़ी समस्या का निदान हो सकता है।

*~चिकित्सा व्यवस्था:-*
इस गांव कि चिकित्सा व्यवस्था इतनी लाचार है कि यहां के लोग झोला छाप डॉक्टरों पर पुरी तरह निर्भर हो चुके हैं। कुछ समय पहले यहां एक नर्स लगाई गई थी लेकिन गांव वालों के अनुसार वो नर्स अब यहां नहीं है बल्कि 0 आरडी में रहेना शुरू कर दिया।
जिप्सम खनन से यहां प्रदूषण इतना बढ़ गया है जिसके चलते यहां अनेक बीमारियों ने घर कर लिया। स्थानीय लोगों ने कई बार प्रशासन को इस समस्या से अवगत भी करवाया लेकिन अभी तक कोई सुधार नहीं हुआ। यह बहुत ही दुर्भाग्य कि बात है कि यहां की विधायक एक डॉक्टर है लेकिन बावजुद इसके क्षेत्र में चिकित्सा व्यवस्था बहुत ही लाचार है।
पशु चिकित्सा कि एक ब्रांच यहां मौजूद है लेकिन दवाईयों के अभाव में वो भी ना होने के बराबर है। पिछले दिनों भेड़ बकरियों में फैली बीमारी के चलते दवाईयों के अभाव में सैकडों जानवर मर गये।

*~सरकारी योजनाओं की पुरा लाभ नहीं मिल रहा :-*
सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएं पूर्ण रूप से इस गांव में नहीं पहुंच पा रही चाहे वो बीपीएल योजना हो या नरेगा जैसी केन्द्रीय योजना। नरेगा योजना काफी समय से बंद बताया जा रहा है। राशन के लिए गांव वालों को भटकाना पड़ता है। ऐसी कई योजनाएं हैं जो अभी तक पहुंच भी नहीं पायी।

*~अवारा पशुओं का जामवाडा:-*
ग्रामीणों कि एक बहुत बड़ी समस्या यह भी है कि यहां अवारा पशु इतने ज्यादा हैं जिसके कारण फसलों को तो नुकसान पहुंचाते ही हैं लेकिन पीने के पानी कि किल्लत के चलते इन पशुओं का बुरा हाल है। नजदिक में कोई गौशाला तक नहीं है।

*~प्रतिनिधियों कि अनदेखी:-*
इस गा़व में जन प्रतिनिधियों कि अनदेखी लगातार रही है। चुनाव के समय यहां एक दो बार विधायक देखे गये हैं। सांसद को तो ज्यादातर ग्रामीणों ने रूबरू तक नहीं देखा गया। स्थानीय लोगों के अनुसार खाजूवाला प्रधान द्वारा उनका पुरा ख्याल रखा गया है। प्रधान कोटे से पांच लाख कि सड़क जो बन कर तैयार हो चुकी है दि गई है। एक वाटरकुलर लगवाया गया है। विधालय में शौचालय दिया गया है और हाल ही दिनों में मैदान के लिए पांच लाख कि घोषणा भी कि गई है।

*~खाला डाट कवरिंग का अभाव:-*
यहां के किसानों कि सिंचाई पानी के साथ साथ खाला डाट कवरिंग कि बड़ी समस्या है। धूल भरी आंधियों के चलते खाले रेत से भर जाते हैं जिन्हें बार बार मिट्टी बहार निकालनी पड़ती है। खाला कवरिंग के लिए किसानों ने कई बार प्रशासन को अवगत करवा चुके हैं लेकिन बावजूद इसके स्थिति जस कि तस है।

हमने यहां खाजूवाला क्षेत्र के गांव बल्लर की कुछ ज्वलन्त समस्याओं पर विचार किया है । समस्यायें तो कई हैं । उनका निदान करने के लिए ग्रामीणों और पंचायतों को आगे आना होगा । स्थानीय विधायक और सांसद की प्रकट व परोक्ष भूमिका की दरकार है ।
स्थानीय विधायक कि उदासीनता और पार्टी में आपसी खिंचातान के चलते बल्लर गांव आज भी विकास कि राह ताक रहा है।
                 

Saturday 31 March 2018

डॉ विश्वनाथ के विश्वनियता पर सवाल

मेरे द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से कुछ दिन पहले खाजूवाला विधायक डॉ विश्वनाथ से कुछ सवाल किये गये थे उनके कार्यकाल में हुए कामों को लेकर। साल भर पहले के न्यूज पेपर में एक विज्ञापन के जरिये विधायक सहाब के समर्थकों ने मेरे प्रश्नों के उत्तर देने कि कोशिश की है। लेकिन जो जवाब दिये हैं वह सही हैं या बनावटी... इसकी पडताल करने पर कुछ बातें जो निकलकर सामने आ रही हैं वो दरअसल इस तरह से हैं।
इस विज्ञापन में सबसे पहेले डॉ. सहाब ने बीकानेर कि ऐलिवेडेट रोड़ के लिए 135 करोड़ रू स्वीकृत कराने का दावा कर रहे हैं! दरअसल यह रोड़ बीकानेर के कोटगेट क्षेत्र के आस-पास दो रेल फाटकों का होना और इनके बार-बार बन्द होने से लगभग पूरे दिन यहां यातायात का जाम होते रहता है जो शहर कि प्रमुख समस्याओं में से एक है इस  समस्या से निजात पाने के लिए एक परियोजना जो कांग्रेस कि सरकार के समय से प्रस्तावित है जो कि 2006-07 में आरयूआईडिपी के माध्यम से इस समस्या से निराकरण के लिए ऐलिवेडेट रोड़ योजना बनी। जो कई कारणों से अटकी हुई है इसके लिए बीकानेर के एकमात्र विधायक मानकचंद सुराणां सरकार से टकराते रहे और आखिर में 2015-16 के बजट में 135 करोड़ रुपये इस परियोजना के लिए स्वीकृति हो गये जो बाद में केंद्र सरकार से हासिल करने कि स्वीकृति भी ले ली और पुरा का पुरा श्रेय सांसद आर्जुन राम मेघवाल ने ने बडी चतुराई के साथ ले लिया।
वास्तविकता तो यह है कि यह परियोजना आज तक शुरू ही नहीं हो पाई है। दूसरा यह कि इस परियोजना से खाजूवाला विधानसभा को कोई लाभ नहीं हैं... और तीसरा यह है कि स्वीकृत राशी की श्रेय समय समय पर गोपाल जोशी, सिद्धी कुमारी, अर्जुनराम मेघवाल, मानकचंद सुराणां आदी विधायक और एमपी लेते रहे हैं।
तो यहां पर एक बात जाहिर है कि विश्वनाथ जी का इस परियोजना के सम्बन्ध में दुर दुर तक कोई रोल नहीं है बल्कि फालतु में ही अपना नाम इस परियोजना के लिए जोड़ रहे हैं.
   दुसरा यह कि  पेयजल आपूर्ति के लिए कुछ गांवों का जिक्र किया गया है! अध्ययन करने पर पता लगा कि जिन गांवों का जिक्र किया गया है उनके लिए जिला परिषद् कि शुरुआती साधारण सभा में खाजूवाला विधानसभा क्षेत्र कि जो पेयजल समस्याएं थी उन समस्याओं को लेकर बीकानेर जिला परिषद् के वार्ड नं. 24 के निर्वाचित सदस्य सत्तु खां ने पुगल, राणेवाला, कंकराला, सत्तासर, थारूसर व अन्य गांवों कि पेयजल कि समस्याओं को प्रमुखता से उठाई। सदन में इन समस्याओं के उठने के बाद स्थानीय प्रशासन ने जवाब दिया कि हम इसका प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजेंगे और यथासंभव समस्याओं का समाधान करेंगे और उसी क्रम के अन्दर वो सभी प्रस्ताव सरकार को भेजे गये और सरकार को मानना पड़ा कि वास्तव में जमीन पर यह समस्याएं हैं। और इस प्रस्ताव के बाद यह बजट आंवटन हुआ। और यहां भी एक जिला परिषद् सदस्य कि मेहनत पर अपना कब्जा जमाने कि कोशिश कि गई है। अंत में निष्कर्ष यही निकलता है कि डॉ सहाब ने अपने दम पर क्षेत्र में ऐसा कोई काम किया ही नहीं।

यदि डॉ. विश्वनाथ पुरी इमानदारी और लगन से अपनी भूमिका निभाते तो आज यह स्थिति नहीं होती कि उन्हे दुसरों के काम पर अपना नाम लगाना पड़ता यहां कि जनता खुद आपके कामों कि चर्चा करते और अगले विधानसभा चुनाव में आप पर उम्मीद रख पाते।

       अब यहां कि जनता आपसे और आपके झुठे वादों से तंग आ चुकी है। इसलिए डॉ. विश्वनाथ को कोई करिश्मा ही अबकी बार चुनाव में टक्कर देने लायक छोड़ सकता है नहीं तो जनता ने जैसा मुड बनाया है उससे ऐसा लगता है कि मंत्री जी की इस बार यहां जमानत जब्त होने वाली है।

Thursday 8 February 2018

कशमकश में जीवन

कुछ एक दिन पहले मुझे खाजूवाला विधानसभा क्षेत्र के नाड़ा गांव जाने का अवसर मिला. में इस क्षेत्र के लोगों का जीवन यापन देख कर विचलित हो गया... सोच रहा था कि सुविधाओं के अभाव में इन लोगों का जीवन कैसे बीत रहा. पहले कि बात अलग थी. अब इस तरह का जीवन व्यतीत करना कहीं ना कहीं जन प्रतिनिधियों कि नाकामीयों को दर्शाता है.. वहां के कुछ लोग यह भी कह रहे थे कि हमें हमारे विधायक सहाब को देखे अरसा बीत गया.. कहा जा रहा था कि पिछले चुनाव में 2013 को यहां आये थे और बड़े बड़े वायदे किये थे जिनके बहकावे में आ कर हम लोगों ने हमारे क्षेत्र से उन्हें बड़ी लीड़ दी थी. चुनाव जीतने के बाद डॉ. सहाब के दर्शन ही दुर्लभ हो गये. और स्थानीय लोगों ने साथ में यह भी कहा कि यदि हमें किसी काम से बात करनी होती है तो पहली बात तो वो हमसे बात भी नहीं कर पाते ऐन केन प्रकार से यदि हमारी बात हो भी जाती है और हम हमारे समस्याओं को उनके समक्ष रखते हैं या रखने का प्रयास करते हैं तो विधायक मोहदय हमारी बात को टाल कर किसी दूसरे व्यक्ति पर डाल देते हैं. मतलब बीच में बीचोलिये और एजेंट प्रोजेक्ट कर रखे... मतलब हमारा हमारे विधायक से सीधा संवाद ही नहीं है...

यह वास्तविकता है हमारे क्षेत्र के हलात बहुत बदतर हैं. हम लोग तो लिख कर हमारा दर्द बयां कर देते हैं. लेकिन उन लोगों पर तरस आता है जो शांत हो कर पिस रहे हैं... जब मेने पूछा कि आप अपने प्रतिनिधियों के खिलाफ कोई एक्शन कियूं नहीं लेते ? हल्की सी मुस्कराहट से जवाब आया अब दिल्ली दूर नहीं. अगर हम लीड दे सकते हैं तो पांच सालों के बाद छिन भी सकते हैं.

Sunday 12 November 2017

जनता का बदलता मुड और कांग्रेस कि वापसी

लगातार एक के बाद एक उपचुनाव में कांग्रेस का बेहतर  रिजल्ट और गुजरात में कांग्रेस को जनता का भरपुर समर्थन से यह तस्वीर साफ होती दिख रही है कि जिस तरह से पूरे देश में मोदी सरकार कि एन्ट्री हुई थी जैसा देश भर में भाजपा को जनसमर्थन मिला था वो जनधार भाजपा खोती हुई प्रतीत होता नजर आ रहा है.. ... गुरदासपुर जो सदियों से भाजपा का गढ़ रहा वहां केन्द्र सरकार कि नीतियों और अंहकार का खामियाजा बहुत बड़े अंतर में हार कर भुगतना पड़ा.
और हाल ही के चित्रकूट का नतीजा... चित्रकूट में वहां के ही मुख्यमंत्री द्वारा 64 जनसभाऐं तकरीबन पूरी विधानसभा क्षेत्र के हर ग्राम पंचायत में एक जनसभा करने के बावजूद भी 14-15 हजार मतों से पराजित हुऐ..
और गुजरात में पुरा मंत्री मंडल स्थानीय एम. पी., एम. एल. ए. दिनरात एक कर किसी तरह से सत्ता वापसी के लिये दम लगा रहे हैं... वहीं दूसरी ओर राहुल गांधी और अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी को ना केवल जनसमर्थन मिल रहा है बल्कि गुजरात में इस बार सरकार बनाते हुऐ भी दिख रहे हैं.. यह इस लिये है क्योंकि गुजरात का हर वर्ग भाजपा से नाराज़ है...
ऊना कांड के बाद दलित वर्ग नाराज़
नोटबंदी और जिएसटी के बाद व्यपारी  वर्ग
आईस्युलेट के कारण पटेल वर्ग
गलत नितियों कि वजह से किसान वर्ग
OROP सही तरीके से लागु ना करने कि वजह से सैनिक परिवार
इनके अलावा चाहे मजदूर वर्ग हो या कोई दुसरी युनियान हो लगभग सभी भाजपा के विरोद्ध में दिखाई दे रहे हैं.....
भाजपा को गुजरात में सत्ता वापसी के केवल और केवल दो ही हथियार बचे हैं जिनमें पहला कांग्रेस कि अंदरूनी खेमेबाजी और दुसरा सांप्रदायिकता वाला  माहौल बना कर ही सत्ता में आने का रास्ता बचा है...इसके अलावा सत्ताधारी पार्टी बिल्कुल ही लाचार और कमजोर दिखाई दे रही है...

Sunday 29 October 2017

खाजूवाला विधायक के नाम मुनशफ बलौच का खुला पत्र

खाजूवाला विधायक के नाम खुला पत्र

आदरणीय डॉ. विश्वनाथ जी,

नमस्कार सर.....
डॉ़ सहाब अखबार तो पढते हो ना.....
नहीं भी पढते तो में सुचित कर देता हुं कि राजस्थान के सबसे कमजोर और निठ्ठले विधायक का ठपा आप पर लग चुका है....
पत्रकार भी बेचारे कब तक आपको बचाते रहें और आपको झुठे सपने दिखाते रहें.....आखिरकर उन्होने आपके चिठ्ठे छाप दियें हैं....
यही वास्तविक पोजिसन है आपकी सर...चिंता ना करें.,
मुझे तो रोक लोगे विरोद्ध करने पर....लेकिन अब तो हर जगह आपकी विफलताओं के जयकारे हो रहे हैं....हवा बदल चुकी है सर....
खाजूवाला कि जनता ने आपको दो बार सम्मान दिया बदले में आपने क्या दिया?...

विकास के नाम पर क्षेत्र को क्या दिया?

जनसुनवाई के नाम पर सरकारी खर्चे पर क्षेत्र के दौरे तो किये लेकिन उन समस्याओं के निवारण के लिये आपने क्या किया?
सर आपने दस साल सिर्फ मस्ती ही कि है. जनता को कुछ भी नहीं दिया.
और हां सर हकिकत तो यही है कि क्षेत्र का तो विकास नहीं हुआ ...आपने अपना विकास जरूर कर लिया...विधायक से मंत्री बन गये.....और मंत्री से कुछ नामी लोगों के जी हजुर.....इससे ज्यादा कुछ भी नहीं.
अगले चुनाव में आप जनता के बीच क्या मुद्दे ले कर जाओगे ?
यह सवाल आपको परेशान नहीं करता?? ..मुझे यकिन है सर बिल्कुल परेशान नहीं करते ऐसे सवाल आपको कम से कम....अगर इस तरह के सवाल आपको परेशान करते तो आप यहां कि जनता के लिये कुछ कर जाते...जनता को युं इस तरह नाराज नहीं करते...
सर आज आपने खाजूवाला का नाम बदनाम किया है ....इसका जवाब सायद अगले चुनाव में आपको मिल जायेगा.....
जनता ने भी पुरा मुड बना लिया है इस बार इस गुंजते हुऐ नारे के साथ...
अबकी बार विश्वनाथ कि हार...

@मुनशफ बलौच
+919887607786

Thursday 28 September 2017

भाजपा - कांग्रेस में गुटबाजी जोरों पर

*कुचरनीयों का दौर शुरू*

जी हां जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे वैसे दोनो सक्रिय पार्टीयों के बीच गुटबाजी बढती ही जा रही है .....जैसे ही बीकानेर लोकसभा सीट के लिये अर्जुनराम के विकल्प के तौर पर डॉ. विश्वनाथ कि पत्नी का नाम उछाला जा रहा है वहीं खाजुवाला विधानसभा के सीट के लिये डॉ. विश्वनाथ के विकल्प के तौर पर अर्जुनराम के पुत्र रविशेखर का नाम उछाला जा रहा है जिससे डॉ. विश्वनाथ कि मुशकिलें ओर ज्यादा बढ गई हैं..
दोनो ही अपनी अपनी सीट से दो दो बार निर्वाचित हो चुके हैं और अपने क्षेत्र के लिये कुछ खास नहीं कर पाये जिसके कारण सायद पार्टी दोनो ही उम्मीदवारों के टिकट अगले चुनाव में  काट सकती है...
अब बात करते हैं कांग्रेस पार्टी कि....
खाजुवाला विधानसभा में डुडी गुट कुचरनी के तौर पे हर बार कोई ना कोई नया कैंडिडेट का नाम उछाला जाता रहा है कभी गोपाल तो कभी इडंखिया वहीं दुसरी ओर गोविन्द राम क्षेत्र में अपना खुंटा गाड़े हुए हैं...जहां तक देखा जाये गोविन्द राम गुट डुडी गुट पर ज्यादा भारी पडते हुऐ नजर आ रहे हैं...यह बात साबित होती है पंचायत समिति चुनाव में गोविन्द राम अपने बल पर 15 में से 11 सीट जीता कर खुद कि पार्टी का बोर्ड बनाया ....और पिछले दिने ब्लॉक अध्यक्ष के चयन में भी डुडी गुट ये ज्यादा संख्याबल देखने को मिला चाहे वो मिंटिग खाजुवाला में कि हो या छतरगढ में.....
वहीं नोखा में डुडी के लिये मुशकिल का दौर शुरू होता है...नोखा में डुडी के समक्ष युवा चेहरा ओर क्षेत्र का चेहता जाट कैंडिडेट के तौर पर आत्माराम तरड हुंकार भरते नजर आ रहे हैं...तरड चाहे पार्टी का उम्मीदवार बन कर लडे या अजाद कैंडिडेट के तौर पे जिसका सीधा-सीधा नुकसान डुडी को ही है.ओर फायदा डुडी जी के प्रतिद्वंदी बिहारी लाल और कन्हेयालाल झंवर को है..तरड जाट समुदाये के वोटों पर सेंध लगायेगा ये जाहिर सी बात है...
लुनकरणसर सीट और डुंगरगढ सीट में भी कांग्रेस दो गुटों में विभाजित है वहां भी डुडी गुट सक्रिय भुमिका निभा रही है और दुसरी ओर बेनिवाल गुट...
@मुनशफ बलौच

Tuesday 22 August 2017

जोधपुर के उलेमा हज़रात को हजारों बार दिल से सलाम

जिसका इंतजार था आखिर वो फैसला हो ही गया काबिले तारीफ....
जोधपुर के उलेमाओं ने एक बहुत ही बेहतरीन फैसला लिया है...
जो कोई भी रईसजादा या दिखावे की बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति शादी
विवाह में फ़िज़ूल खर्ची करेगा...सड़को पे खुशियों का तांडव मचाएगा
और डीजे, बैंड बाजे से बरात लायेगा या ले जायेगा उसका निकाह
"मदरसा इसाकिया" से फारिग कोई भी आलिम नही पढ़ाएगा और यदि
किसी बाहर के मौलाना ने ऐसे निकाह में शिरकत की तो उसे भी
"सज़ा ए बायकॉट" का दंड दिया जाएगा....

ऐसा काम बहुत पहले कर लेना चाहिये था.... खैर देर आये दुरुस्त आए....
अब हमारे दूसरे उलेमा  और समाज के सदरो से भी गुजारिश है कि आप
भी इस फैसले का पालन करे और  समाज की इन बुराइयों को जड़ से
मिटाने में सहयोग करे.....
अब्बास सर का भी बहुत बहुत शुक्रिया...