Saturday 31 March 2018

डॉ विश्वनाथ के विश्वनियता पर सवाल

मेरे द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से कुछ दिन पहले खाजूवाला विधायक डॉ विश्वनाथ से कुछ सवाल किये गये थे उनके कार्यकाल में हुए कामों को लेकर। साल भर पहले के न्यूज पेपर में एक विज्ञापन के जरिये विधायक सहाब के समर्थकों ने मेरे प्रश्नों के उत्तर देने कि कोशिश की है। लेकिन जो जवाब दिये हैं वह सही हैं या बनावटी... इसकी पडताल करने पर कुछ बातें जो निकलकर सामने आ रही हैं वो दरअसल इस तरह से हैं।
इस विज्ञापन में सबसे पहेले डॉ. सहाब ने बीकानेर कि ऐलिवेडेट रोड़ के लिए 135 करोड़ रू स्वीकृत कराने का दावा कर रहे हैं! दरअसल यह रोड़ बीकानेर के कोटगेट क्षेत्र के आस-पास दो रेल फाटकों का होना और इनके बार-बार बन्द होने से लगभग पूरे दिन यहां यातायात का जाम होते रहता है जो शहर कि प्रमुख समस्याओं में से एक है इस  समस्या से निजात पाने के लिए एक परियोजना जो कांग्रेस कि सरकार के समय से प्रस्तावित है जो कि 2006-07 में आरयूआईडिपी के माध्यम से इस समस्या से निराकरण के लिए ऐलिवेडेट रोड़ योजना बनी। जो कई कारणों से अटकी हुई है इसके लिए बीकानेर के एकमात्र विधायक मानकचंद सुराणां सरकार से टकराते रहे और आखिर में 2015-16 के बजट में 135 करोड़ रुपये इस परियोजना के लिए स्वीकृति हो गये जो बाद में केंद्र सरकार से हासिल करने कि स्वीकृति भी ले ली और पुरा का पुरा श्रेय सांसद आर्जुन राम मेघवाल ने ने बडी चतुराई के साथ ले लिया।
वास्तविकता तो यह है कि यह परियोजना आज तक शुरू ही नहीं हो पाई है। दूसरा यह कि इस परियोजना से खाजूवाला विधानसभा को कोई लाभ नहीं हैं... और तीसरा यह है कि स्वीकृत राशी की श्रेय समय समय पर गोपाल जोशी, सिद्धी कुमारी, अर्जुनराम मेघवाल, मानकचंद सुराणां आदी विधायक और एमपी लेते रहे हैं।
तो यहां पर एक बात जाहिर है कि विश्वनाथ जी का इस परियोजना के सम्बन्ध में दुर दुर तक कोई रोल नहीं है बल्कि फालतु में ही अपना नाम इस परियोजना के लिए जोड़ रहे हैं.
   दुसरा यह कि  पेयजल आपूर्ति के लिए कुछ गांवों का जिक्र किया गया है! अध्ययन करने पर पता लगा कि जिन गांवों का जिक्र किया गया है उनके लिए जिला परिषद् कि शुरुआती साधारण सभा में खाजूवाला विधानसभा क्षेत्र कि जो पेयजल समस्याएं थी उन समस्याओं को लेकर बीकानेर जिला परिषद् के वार्ड नं. 24 के निर्वाचित सदस्य सत्तु खां ने पुगल, राणेवाला, कंकराला, सत्तासर, थारूसर व अन्य गांवों कि पेयजल कि समस्याओं को प्रमुखता से उठाई। सदन में इन समस्याओं के उठने के बाद स्थानीय प्रशासन ने जवाब दिया कि हम इसका प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजेंगे और यथासंभव समस्याओं का समाधान करेंगे और उसी क्रम के अन्दर वो सभी प्रस्ताव सरकार को भेजे गये और सरकार को मानना पड़ा कि वास्तव में जमीन पर यह समस्याएं हैं। और इस प्रस्ताव के बाद यह बजट आंवटन हुआ। और यहां भी एक जिला परिषद् सदस्य कि मेहनत पर अपना कब्जा जमाने कि कोशिश कि गई है। अंत में निष्कर्ष यही निकलता है कि डॉ सहाब ने अपने दम पर क्षेत्र में ऐसा कोई काम किया ही नहीं।

यदि डॉ. विश्वनाथ पुरी इमानदारी और लगन से अपनी भूमिका निभाते तो आज यह स्थिति नहीं होती कि उन्हे दुसरों के काम पर अपना नाम लगाना पड़ता यहां कि जनता खुद आपके कामों कि चर्चा करते और अगले विधानसभा चुनाव में आप पर उम्मीद रख पाते।

       अब यहां कि जनता आपसे और आपके झुठे वादों से तंग आ चुकी है। इसलिए डॉ. विश्वनाथ को कोई करिश्मा ही अबकी बार चुनाव में टक्कर देने लायक छोड़ सकता है नहीं तो जनता ने जैसा मुड बनाया है उससे ऐसा लगता है कि मंत्री जी की इस बार यहां जमानत जब्त होने वाली है।